Holi 2022 Date : होली 18 मार्च 2022 को है और 17 मार्च को होलिका दहन है | होली के शुभ अवसर पर सभी स्कूल, कॉलेज, कुछ बैंक और सरकारी दफ्तर स्थगित रहेंगे | holi 2022 date gujarat holi 2022 date usa holi 2022 date rajasthan holi 2022 date delhi holi 2022 date uttar pradesh significance holi 2022 festival of colors holi 2022 date bihar
Holi Kab Hai | होली कब है?
Holi 2022 Date : होली हिंदुओं का प्रमुख त्यौहार है | दीपावली के बाद होली को पुरे भारत में धूमधाम मनाया जाता है | होली को Festival of color यानी रंगों का त्योहार कहा जाता है | होली की त्यौहार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष के प्रतिपदा को मनाया जाता है | इस साल होली का त्यौहार 18 मार्च 2022 को मनाया जाएगा और 17 मार्च को होलिका दहन | कुछ जगहों पर होलिका दहन को छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है और कुछ जगहों पर दो दिन होली मनाई जाती है | होली के दिन से 8 दिन पहले होलाष्टक शुरू हो जाता है होलाष्टक का मतलब है कि इन दिनों आप कोई भी शुभ मांगलिक कार्य नहीं कर सकते है जैसे विवाह,मुंडन,सगाई,गृह प्रवेश आदि | इस साल 10 मार्च से होलाष्टक शुरू हो रहा है | होलाष्टक फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष के अष्टमी तिथि से शुरू होता है और होली के एक दिन पहले सूर्यास्त के बाद इसे जलाया जाता है |
होलिका दहन के दिन लोग होलिका की पूजा अर्चना करने के बाद उसे आग में भस्म कर देते है इसी को छोटी होली के नाम से जानते है और इसके दूसरे दिन मुख्य होली को मनाया जाता है इस दिन सभी लोग रंग और गुलाल का प्रयोग करते है |
होलिका दहन 2022 शुभ मुहूर्त
17 मार्च, 2022 को, होलिका दहन बृहस्पतिवार
17 मार्च, 2022 को 01:29 पी एम बजे, पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ
18 मार्च, 2022 को 12:47 पी एम बजे, पूर्णिमा तिथि समाप्त
18 मार्च, 2022 को, होली शुक्रवार
होलिका दहन 2022 पूजन सामग्री
गाय के गोबर माला, एक कटोरी पानी,अक्षत, रोली,फूल, अगरबत्ती और धूप,कच्चा सूती धागा, मूंग की अखंड दाल, हल्दी के टुकड़े, बताशा,नारियल, गुलाल पाउडर, नया अनाज जैसे गेहूँ |
होलिका दहन 2022 पूजा विधि
पूजा की सभी सामग्री को एक प्लेट में रख लीजिए और पूजा थाली के साथ पानी का एक छोटा बर्तन रखिए, पूजा स्थल पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठ जाइए, उसके बाद पूजा थाली पर और अपने आप पर पानी छिड़कने के बाद ‘ऊँ पुण्डरीकाक्ष: पुनातु’ मंत्र का तीन बार जाप कीजिए|
अब दाहिने हाथ में जल, चावल, फूल और एक सिक्का लेकर संकल्प लीजिए,
फिर दाहिने हाथ में फूल और चावल लेकर गणेश जी का स्मरण कीजिए,
भगवान गणेश की पूजा करने के बाद, देवी अंबिका को याद कीजिए और ‘ऊँ अम्बिकायै नम: पंचोपचारार्थे गंधाक्षतपुष्पाणि समर्पयामि’ मंत्र का जाप कीजिए, मंत्र का जाप करते हुए फूल पर रोली और चावल लगाकर देवी अंबिका को सुगंध सहित अर्पित कीजिए,
अब भगवान नरसिंह का स्मरण कीजिए,. मंत्र का जाप करते हुए फूल पर रोली और चावल लगाकर भगवान नरसिंह को चढ़ाएं,
अब भक्त प्रह्लाद का स्मरण कीजिए, फूल पर रोली और चावल लगाकर भक्त प्रह्लाद को चढ़ाएं,
अब होलिका के आगे खड़े हो जाए और हाथ जोड़कर प्रार्थना करें, इसके बाद होलिका में चावल, धूप, फूल, मूंग दाल, हल्दी के टुकड़े, नारियल और सूखे गाय के गोबर से बनी माला जिसे गुलारी और बड़कुला भी कहा जाता है अर्पित करें, होलिका की परिक्रमा करते हुए उसके चारों ओर कच्चे सूत की तीन, पांच या सात फेरे बांधे जाते हैं, इसके बाद होलिका के ढेर के सामने पानी के बर्तन को खाली कर दें,
इसके बाद होलिका दहन किया जाता है, लोग होलिका के चक्कर लगाते हैं. जिसके बाद बड़ों का आशीर्वाद लिया जाता है. लोग होलिका की परिक्रमा करते हैं और इसके अलावा नई फसल चढ़ाते हैं और भूनते हैं, भुने हुए अनाज को होलिका प्रसाद के रूप में बांटा जाता है |
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