Gudi Padwa in hindi गुड़ी पड़वा क्या है क्यों मनाया जाता है ?
नमस्कार दोस्तों, इस पोस्ट में हम जानने वाले है Gudi Padwa In Hindi के बारे में | इस पोस्ट में हम आगे जानेंगे कि Gudi Padwa In Hindi गुड़ी पड़वा क्या है गुड़ी पड़वा क्यों मनाया जाता है और Gudi Padwa In Hindi का क्या महत्व है | तो आप इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़िएगा |
Gudi Padwa In Hindi : दोस्तों गुड़ी पड़वा के दिन विक्रम हिन्दू नव वर्ष विक्रम संवत का आरम्भ माना जाता है | चैत्र मास के शुक्ल प्रतिपदा को गुड़ी पड़वा मनाया जाता है | इसको अलग अलग जगहों पर अलग अलग नामो से जाना जाता है जैसे – गुड़ी पड़वा, वर्ष प्रतिपदा, उगादि या युगादी | इसी दिन हिन्दू नववर्ष मनाया जाता है | गुड़ी का अर्थ ‘ विजय पताका ‘ होता है | ‘युग’ और ‘आदि’ शब्दों के संधि से बना है ‘युगादि’ | यह पर्व आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में “उगादी” और महाराष्ट्र में “ गुड़ी पड़वा” के रूप में मनाया जाता है
गुड़ी पड़वा क्या है ? What is Gudi Padwa?
दोस्तों गुड़ी पड़वा का दिन महाराष्ट्र के लोगों के द्वारा मनाया जाने वाला नव वर्ष के उत्सव का प्रतिक है यह पुरे भारतवर्ष में मनाया जाता है | दक्षिण भारतीय राज्यों में यह त्यौहार फसल दिवस के रूप में भी मनाया जाता है वसंत ऋतू के प्रारम्भ को दर्शाता है |
भारत के विभिन्न जगहों पर विभिन्न नामों, संस्कृतिक मान्यताओं और उत्साहों के साथ मनाया जाता है | यह पर्व आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में “उगादी” और महाराष्ट्र में “ गुड़ी पड़वा” के रूप में मनाया जाता है | इस दिन सूर्योदय से शुरू होकर पुरे दिन तक चलने वाले कई अनुष्ठान होते हैं |
गुड़ी पड़वा क्यों मनाया जाता है ? Why Gudi Padwa is celebrated?
इस सन्दर्भ में कहा जाता है कि इसी दिन ब्रह्माजी ने सृष्टि का सृजन किया था | इसमें मुख्य रूप से ब्रह्माजी और उनके द्वारा निर्मित सृष्टि प्रमुख देवी देवताओं,यक्ष – राक्षस, गंधर्व,ऋषि-मुनियों, नदियों, पर्वतों, पशु-पक्षियों और कीट-पतंगों का ही नहीं, रोगों और उनके उपचारों तक का भी पूजन किया जाता है।
इसी दिन से नया संवत्सर का आरम्भ होता है, इसलिए इस तिथि को “नव संवत्सर” भी कहते हैं | चैत्र ही एक ऐसा महीना है, जिसमें वृक्ष तथा लताएं पल्लवित व पुष्पित होती हैं। शुक्ल प्रतिपदा का दिन चंद्रमा की कला का प्रथम दिवस माना जाता है। जीवन का मुख्य आधार वनस्पतियों को सोमरस चंद्रमा ही प्रदान करता है। इसे औषधियों और वनस्पतियों का राजा कहा गया है। इसलिए इस दिन को वर्षारम्भ माना जाता है।
इस संदर्भ में यह भी कहा जाता है कि शालिवाहन नाम के एक कुम्हार था जिसके लड़के ने मिटटी से सैनिकों की सेना बनाई और उसपर पानी छिड़ककर उनमें प्राण डाल दिए और फिर उन सेनाओं की सहायता से शक्तिशाली शत्रुओं को पराजित किया | इस विजय के प्रतीक के रूप में शालिवाहन शक का प्रारंभ हुआ।
कुछ लोगों की मान्यता यह भी है कि इसी दिन भगवान राम ने वानर राज बाली के अत्याचारी शासन से दक्षिण की प्रजा को मुक्ति दिलाई। बाली के त्रास से मुक्त हुई प्रजा ने घर-घर में उत्सव मना कर ध्वज (गुड़ियां) फहराए। आज भी घर के आंगन में ग़ुड़ी खड़ी करने की प्रथा महाराष्ट्र में प्रचलित है। इसलिए इस दिन को गुड़ी पड़वा नाम दिया गया।
इतिहास में वर्ष प्रतिपदा का महत्व Significance of Varsha Pratipada in History
इतिहास में वर्ष प्रतिपदा यानी नव संवत्सर का बहुत अधिक महत्व है –
- ब्रह्म पुराण के अनुसार ब्रह्मा द्वारा सृष्टि का निर्माण
- मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का राज्याभिषेक
- माँ दुर्गा की उपासना की नवरात्रि व्रत का प्रारम्भ
- युगाब्द (युधिष्ठिर संवत) का आरम्भ तथा उनका राज्याभिषेक
- उज्जयिनी सम्राट- विक्रमादित्य द्वारा विक्रमी संवत् प्रारम्भ
- शालिवाहन शक संवत (भारत सरकार का राष्ट्रीय पंचांग) का प्रारंभ
- महर्षि दयानंद द्वारा आर्य समाज की स्थापना का दिवस
- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार का जन्मदिन
- सिख परंपरा के द्वितीय गुरु अंगद देव जी के जन्म दिवस
- सिंध प्रांत के प्रसिद्ध समाज रक्षक वरूणावत संत झूलेलाल का प्रकट दिवस
गुड़ी पड़वा कैसे मनाते है? How Celebrate Gudi Padwa
गुड़ी पड़वा के दिन सबसे पहले सूर्योदय से पूर्व स्नान किया जाता है | उसके बाद सारे घर को आम के पेड़ के पतियों के बंदनवार से सजाया जाता है | इसके बाद घर के एक हिस्से में गुड़ी लगायी जाती है | और उसे आम के पतों, पुष्पों और कपड़ो से सजाया जाता है | इसके बाद भगवन ब्रह्माजी की पूजा की जाती है और गुड़ी फहराया जाता है | उसके बाद भगवान् विष्णु की विधि – विधान से पूजा की जाती है |
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महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा कैसे मनाया जाता है ? How Gudi Padwa is celebrated in Maharashtra?
महाराष्ट्र में सारे घरों को आम के पेड़ की पत्तियों के बंदनवार से सजाया जाता है। गुड़ी पड़वा के दिन, कई जुलूस सड़क पर आयोजित किए जाते हैं। महाराष्ट्र में लोग नए परिधानों में तैयार होते हैं। उनके घरों में, विशेष और पारंपरिक व्यंजन तैयार किए जाते हैं जैसे पूरन पोली, पुरी और श्रीखंड, मीठे चावल जिन्हें लोकप्रिय रूप से शक्कर भात कहा जाता है| लोग अपने दोस्तों और परिवार के साथ उत्सव का आनंद लेते हैं और सड़क पर जुलूस का हिस्सा बनते हैं।
महाराष्ट्र में इस दिन पूरन पोली या मीठी रोटी बनाई जाती है। इसमें गुड़, नमक, नीम के फूल, इमली और कच्चा आम जैसी चीजें मिलाई जाती हैं | गुड़ मिठास के लिए, नीम के फूल कड़वाहट मिटाने के लिए और इमली व आम जीवन के खट्टे-मीठे स्वाद चखने का प्रतीक होती है।
गुड़ी पड़वा का अर्थ क्या होता है?
गुड़ी का अर्थ ‘ विजय पताका ‘ होता है
गुड़ी पड़वा किस राज्य मनाया जाता है ?
गुड़ी पड़वा महाराष्ट्र में मनाया जाता है |
युगादी पर्व किस राज्य में मनाया जाता है
युगादी पर्व आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में मनाया जाता है |
गुड़ी पड़वा कब है 2022
इस साल 2 अप्रैल को गुड़ी पड़वा है |
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