“प्रकाश का परावर्तन तथा अपवर्तन (Light Reflection and Refraction)” Class 10 Physics Chapter 1 Notes in Hindi
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Class 10 Physics Chapter 1 Notes in Hindi
प्रकाश क्या है?
- वैसा विधुत चुम्बकीय तरंग जो स्वयं अदृश्य होते हुए दूसरे वस्तुओं को देखने में हमारी सहायता करता है , प्रकाश कहलाता है |
यह फोटॉन नामक कणों से बना होता है , जिसका तरंगदैर्ध्य 3800 Ao से 7800 Ao के बीच होता है |
1 Ao (ऐंगस्ट्रम) :- दूरी का वह सबसे छोटा मात्रक जिसका मान 10-10 m होता है, 1 Ao (ऐंगस्ट्रम) कहलाता है |
पदार्थ किसे कहते हैं ?
कोई भी वस्तु जो स्थान घेरती हो, जिसका द्रव्यमान हो और जिसे अपनी ज्ञानेन्द्रियों के द्वारा महसूस किया जा सके , उसे पदार्थ कहते हैं।
पदार्थ के प्रकार
प्रकाश के उत्पति के आधार पर पदार्थ को दो भागो में बाँटा गया है –
1. आत्मदीप्त या प्रदीप्त पदार्थ
प्रकृति में पायी जाने वाली वे सभी वस्तुएँ जो स्वतः प्रकाश उत्पन्न करते हैं , आत्मदीप्त पदार्थ कहलाते हैं | जैसे- सूर्य सहित सभी तारे , रेडियो सक्रिय पदार्थ जैसे -यूरेनियम , थोरियम आदि , विद्युत बल्ब (आत्मदीप्त लैम्प) , जलती हुई मोमबत्ती या दीपक इत्यादि |
2. अदीप्त पदार्थ
प्रकृति में उपस्थित जो वस्तुएँ स्वतः प्रकाश की उत्पति नहीं कर सकतें , अदीप्त पदर्थ कहलाते है | जैसे – चन्द्रमा , लकड़ी ,लोहा , पत्थर , काँच इत्यादि |
प्रकाश के गमन के आधार पर पदार्थ को तीन भागों में बाँटा गया है –
1. पारदर्शी पदार्थ
जिस पदार्थ से होकर प्रकाशीय किरण एक माध्यम से दूसरे माध्यम में आसानी से आ जा सकता है , पारदर्शी पदार्थ कहलाता है | जैसे – शीशा, सफेद काँच, प्लास्टिक , स्वच्छ जल इत्यादि |
2. अर्धपारदर्शी या परभाषी पदार्थ
जिस पदार्थ से होकर प्रकाशीय किरण आंशिक रूप से एक माध्यम से दूसरे माध्यम में आ जा सके , अर्धपारदर्शी पदार्थ कहलाता है | जैसे – घिसा हुआ काँच , तेल लगा हुआ कागज इत्यादि |
3. अपारदर्शी पदार्थ
जिस पदार्थ से होकर प्रकाशीय किरण एक माध्यम से दूसरे माध्यम नहीं आ जा सकते हैं , अपारदर्शी पदार्थ कहलाते हैं | जैसे – कलई किया हुआ शीशा , काला प्लास्टिक , लकड़ी , लोहा , ईंट , पत्थर फर्श पर गिरा हुआ पानी इत्यादि |
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- प्रकाश की चाल :- इकाई समय में प्रकाशिय किरणों के द्वारा तय की गयी दूरी प्रकाश की चाल कहलाता है |
विभिन्न माध्यमों में प्रकाश की चाल भिन्न भिन्न होती है –
- गैस या निर्वात में प्रकाश की चाल सबसे अधिक 3 x 108m/sec या 3 x 105 km/sec होता है |
- द्रव में प्रकाश की चाल गैस के अपेक्षा काम होता है , जिसका मान 2.25 x 108 m/sec या 2.25 x 105 km/sec होता है |
- ठोस में प्रकाश की चाल सबसे कम 2 x 108 m/sec या 2 x 105 Km/sec होता है |
- किरण :- प्रकाश के गमन के पथ को किरण कहते हैं |
- किरण पुंज या प्रकाश पुंज :- किरणों के समूह को किरण पुंज या प्रकाश पुंज कहते हैं | किरण पुंज तीन प्रकार के होते हैं –
- समान्तर किरण पुंज :- जिस किरण पुंज में प्रत्येक किरणों के बीच की दूरी समान होती है , समान्तर किरण पुंज कहलाता है |
- अपसारी किरण पुंज :- जिस किरण पुंज में किरणे एक ही बिंदु से निकलती हुई प्रतीत होती है , अपसारी किरण पुंज कहलाती है |
- अभिसारी किरण पुंज :- जिस किरण पुंज में किरणे एक ही बिंदु पर आकर मिलती है , अभिसारी किरण पुंज कहलाती है |
दर्पण
- वैसा अपारदर्शी सतह जिससे प्रकाश का परावर्तन नियमित रूप से होता है , दर्पण कहलाता है |
दर्पण मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं –
- समतल दर्पण :- जिस दर्पण का परावर्तक सतह समतल होता है , उसे समतल दर्पण कहते हैं |
- गोलीय दर्पण :- जिस दर्पण का परावर्तक सतह गोलीय होता है , उसे गोलीय दर्पण कहते हैं |
गोलीय दर्पण मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं –
- उत्तल दर्पण :- जिस गोलीय दर्पण का परावर्तक सतह उभरा हुआ रहता है , उत्तल दर्पण कहलाता है |
- अवतल दर्पण :- जिस गोलीय दर्पण का परावर्तक सतह धसा हुआ रहता है , अवतल दर्पण कहलाता है
प्रकाशीय प्रतिबिम्ब
- किसी माध्यम से चली प्रकाशीय किरण परावर्तन या अपवर्तन के बाद जिस बिंदु पर कटती है या कटती हुई प्रतीत होती है , प्रकाशीय प्रतिबिम्ब कहलाती है |
प्रकाशीय प्रतिबिम्ब मुख्य्तः दो प्रकार के होती है –
- वास्तविक प्रतिबिम्ब :- जिस प्रकाशीय प्रतिबिम्ब का निर्माण किरणों के परावर्तन या अपवर्तन के बाद वास्तविक कटान से होता है , वास्तविक प्रतिबिम्ब कहलाता है | यह प्रतिबिम्ब सदैव उल्टा होता है तथा इसे पर्दे पर प्राप्त किया जा सकता है |
- काल्पनिक या आभासी प्रतिबिम्ब :- जिस प्रकाशीय प्रतिबिम्ब का निर्माण किरणों के काल्पनिक कटान से होता है , काल्पनिक प्रतिबिम्ब कहलाता है | यह प्रतिबिम्ब सदैव सीधा होता है तथा इसे पर्दे पर प्राप्त नहीं किया जा सकता है |
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प्रकाश का परावर्तन
- वह घटना जिसके अंतर्गत किसी माध्यम से चली प्रकाशीय किरण अपारदर्शी सतह से टकराकर पुनः उसी माध्यम में लौट जाती है , प्रकाश का परावर्तन कहलाता है |
प्रकाश के परावर्तन के मुख्यतः दो नियम होते हैं –
- आपतित किरण , परावर्तित किरण तथा आपतन बिंदु पर अभिलंब तीनों एक ही तल में होते हैं |
- आपतन कोण का मान परावर्तन कोण के मान के बराबर होता है |
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परावर्तन से संबंधित कुछ परिभाषाएं –
- आपतित किरण :- किसी स्रोत से चली प्रकाशीय किरण हीं आपतित किरण कहलाती है |
- आपतन बिंदु :- आपतित किरण परावर्तक सतह के जिस बिंदु पर मिलती है आपतन बिंदु कहलाती है |
- परावर्तित किरण :- परावर्तन के बाद किरण जिस पथ से गुजरती है , परावर्तित किरण कहलाती है |
- अभिलम्ब :- परावर्तक सतह के आपतन बिंदु पर डाला गया लंब अभिलम्ब कहलाता है |
- आपतन कोण :- आपतित किरण तथा आपतन बिंदु पर बना कोण आपतन कोण कहलाता है | इसे i से सूचित किया जाता है |
- परावर्तन कोण :- अभिलंब तथा परावर्तित किरण द्वारा आपतन बिंदु पर बना कोण परावर्तन कोण कहलाता है| इसे r से सूचित किया जाता है |
दर्पण से संबंधित कुछ परिभाषाएं –
- ध्रुव :- दर्पण के परिरेख पर स्थित वह बिंदु जिसे होकर प्रधान अक्ष गुजरता है ध्रुव कहलाता है | इसे P से सूचित किया जाता है |
- वक्रता केंद्र :- दर्पण जिस गोले का भाग है उस गोले को ही दर्पण का का वक्रता केंद्र कहते है | इसे C से सूचित किया जाता है |
- वक्रता त्रिज्या :- दर्पण में ध्रुव और वक्रता केंद्र के बीच की दूरी को वक्रता त्रिज्या कहते हैं |
अथवा , दर्पण जिस गोले का भाग है उस गोले के त्रिज्या को ही दर्पण का वक्रता त्रिज्या कहते हैं | इसे R से सूचित किया जाता है |
- प्रधान अक्ष :- गोलीय दर्पण में वक्रता केंद्र और ध्रुव से होकर गुजरने वाली रेखा प्रधान अक्ष कहलाती है |
- मुख्य फोकस :- गोलीय दर्पण में प्रधान अक्ष के समान्तर चली प्रकाशीय किरण दर्पण से परावर्तन के बाद प्रधान अक्ष के जिस बिंदु पर काटती है या काटते हुए प्रतीत है, मुख्य फोकस कहलाता है | इसे F से सूचित किया जाता है |
- फोकस दूरी :- गोलीय दर्पण में ध्रुव और मुख्य फोकस के बीच की दूरी को फोकस दूरी कहते हैं | इसे f से सूचित किया जाता है |
- दर्पण का द्वारक :- किसी दर्पण की लम्बाई या परिरेख द्वारा दर्पण के वक्रता केंद्र पर बना कोण दर्पण का द्वारक कहलाता है |
निर्देशांक चिन्ह परिपाटी
- गोलीय दर्पण में विभिन्न दूरियों के चिन्ह निर्धारण की पद्धति को निर्देशांक चिन्ह परिपाटी कहते हैं |
इसकी इसकी मुख्य बातें निम्नलिखित है –
- सभी दूरियां दर्पण के ध्रुव से मापी जाती है
- आपतित किरण के दिशा में मापी गई दूरियां धनात्मक होती है तथा उसके विपरीत दिशा में मापी गई दूरियां ऋणात्मक होती है
- प्रधान अक्ष के ऊपर की ओर की लम्बवत दूरियां धनात्मक होती है तथा नीचे की ओर की लम्बवत दूरियां ऋणात्मक होती है
दर्पण में प्रतिबिंब की स्थिति
1. अवतल दर्पण में
- (I) जब वस्तु दर्पण से अनंत दूरी पर स्थित हो तो उसका प्रतिबिंब वस्तु के ओर ही मुख्य फोकस पर वास्तविक उल्टा और वस्तु से छोटा बनता है |
- (II) जब वस्तु अनंत और वक्रता केंद्र के बीच स्थित हो तो उसका प्रतिबिंब वक्रता केंद्र और मुख्य फोकस के बीच वास्तविक उल्टा एवं वस्तु से छोटा बनता है|
- (III) जब वस्तु वक्रता केंद्र पर स्थित हो तो उसका प्रतिबिंब वक्रता केंद्र पर ही वास्तविक उल्टा और वस्तु के बराबर बनता है|
- (IV) जब वस्तु वक्रता केंद्र और मुख्य फोकस के बीच स्थित हो तो उसका प्रतिबिंब वक्रता केंद्र और अनंत के बीच वास्तविक उल्टा और वस्तु से बड़ा बनता है|
- (V) जब वस्तु मुख्य फोकस पर स्थित हो तो उसका प्रतिबिंब दर्पण से अनंत दूरी पर वास्तविक उल्टा और वस्तु से बहुत बड़ा बनता है|
- (VI) जब वस्तु मुख्य फोकस और ध्रुव के बीच स्थित हो तो उसका प्रतिबिंब दर्पण के पीछे काल्पनिक सीधा और वस्तु से बड़ा बनता है|
2. उत्तल दर्पण में
- (I) जब वस्तु उत्तल दर्पण में अनंत दूरी पर हो तो उसका प्रतिबिंब मुख्य फोकस पर काल्पनिक सीधा और वस्तु से बहुत छोटा (बिन्दुवत) बनता है|
- (II) जब वस्तु अनंत और ध्रुव के बीच स्थित हो तो उसका प्रतिबिंब ध्रुव और मुख्य फोकस के बीच काल्पनिक सीधा और वस्तु से छोटा बनता है|
गोलीय दर्पण में वक्रता त्रिज्या और फोकस दूरी में संबंध
वक्रता त्रिज्या = 2 फोकस दूरी
- गोलीय दर्पण की वक्रता त्रिज्या फोकस दूरी के दुगुना होता है |
- गोलीय दर्पण की फोकस दूरी वक्रता त्रिज्या के आधी होती है |
वस्तु दूरी :- दर्पण में ध्रुव और वस्तु के बीच की दूरी को वस्तु दूरी कहा जाता है | इसे u से सूचित किया जाता है |
प्रतिबिंब दूरी :- दर्पण में प्रतिबिंब तथा ध्रुव के बीच की दूरी को प्रतिबिंब दूरी कहा जाता है | इसे v से सूचित किया जाता है |
दर्पण सूत्र :- गोलीय दर्पण में वस्तु दूरी , प्रतिबिंब दूरी तथा फोकस दूरी के बीच संबंध बताने वाले सूत्र को दर्पण सूत्र कहते हैं | इसका मूल रूप 1/u + 1/v = 1/f होता है |
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