Aisa Kyu Hota Hai Facts in Hindi : दोस्तों इस पोस्ट में हम प्रकृति और विज्ञान की Top 25 Amazing Facts In Hindi जानने वाले है जो हमेशा आपके सामने होता रहता है और आपके मन में उस चीज को जानने की जिज्ञासा उत्पन्न होती है की आखिर ऐसा क्यों होता है ? जैसे अगर हम बात करें कि जुकाम हो जाने पर हमारी नाक से गंध का अनुभव होना बंद क्यों हो जाता है? ऐसा क्यों होता है Facts बर्फ पानी के ऊपर क्यों तैरती है? चींटी एक लाइन में कैसे चलती है?मकड़ी अपने जाल में खुद क्यों नहीं चिपकती? हमें किसी चीज के स्वाद का पता कैसे चलता है?आदमी और जानवर में से पहले कौन आया? ऐसे और भी बाते हो सकती है | इस पोस्ट में हम ऐसे ही Top 25 Amazing Facts In Hindi को जानने वाले हैं तो आप पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़िएगा |
1 to 5 Aisa Kyu Hota Hai Facts in Hindi
1. आकाश का रंग नीला क्यों दिखाई देता है?
धरती के चारों ओर वायुमंडल यानी हवा है। इसमें कई तरह की गैसों के मॉलिक्यूल और पानी की बूँदें या भाप है। गैसों में सबसे ज्यादा करीब 78 फीसद नाइट्रोजन है और करीब 21 फीसद ऑक्सीजन। इसके अलावा आर्गन गैस और पानी है।
इसमें धूल, राख और समुद्री पानी से उठा नमक वगैरह है। हमें अपने आसमान का रंग इन्हीं चीजों की वजह से आसमानी लगता है। दरअसल हम जिसे रंग कहते हैं वह रोशनी है। रोशनी वेव्स या तरंगों में चलती है। हवा में मौजूद चीजें इन वेव्स को रोकती हैं। जो लम्बी वेव्स हैं उनमें रुकावट कम आती है।
वे धूल के कणों से बड़ी होती हैं। यानी रोशनी की लाल, पीली और नारंगी तरंगें नजर नहीं आती। पर छोटी तरंगों को गैस या धूल के कण रोकते हैं। और यह रोशनी टकराकर चारों ओर फैलती है। रोशनी के वर्णक्रम या स्पेक्ट्रम में नीला रंग छोटी तरंगों में चलता है। यही नीला रंग जब फैलता है तो वह आसमान का रंग लगता है|
2. तारे टूटते हुए क्यो दिखाई देते है?
अन्तरिक्ष में अनेकों बड़ी-बड़ी रचनाएँ उपस्थित है जो पृथ्वी से अरबों किलोमीटर की दुरी पर स्थित है जिन्हें हम तारों के रूप में देखते है। जब वे बाहरी अन्तरिक्ष से वायुमंडल में प्रवेश करते है तो हवा की रगड़ से गर्म होकर चमकने लगते है
ये उल्कायें भी कहलाती है अधिकांश उल्कायें वायुमंडल में पूरी तरह जल जाती हैं लेकिन कुछ बड़े उल्का पिण्ड पृथ्वी तक पहुँच जाते हैं उन्हें जब गिरता हुआ देखते है तो हम कहते है कि तारा टूट रहा है।
3. दिन में तारे दिखाई क्यों नही देते हैं?
पृथ्वी के चारों ओर सघन वायुमंडल है जो कि सूर्य के प्रकाश के चारों ओर बिखेर देता है जिससे दिन में आकाश चमकदार हो जाता है तथा तारे दिखाई नहीं देते है जबकि चाँद पर जहाँ वायुमंडल नहीं है वहाँ दिन में भी तारे देखे जा सकते हैं।
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4. बर्फ पानी के ऊपर क्यों तैरती है?
जब कोई भी तरल पदार्थ ठोस पदार्थ में बदलता है तो उसका आयतन घट जाता है और वह भारी हो जाता है लेकिन पानी के साथ ऐसा नहीं होता पानी जब ठोस अवस्था के लिए जमकर बर्फ बनता है तो उसका आयतन घटने के स्थान पर बढ़ जाता है जिसके कारण वह पानी की तुलना में हल्की हो जाती है इसीलिए बर्फ पानी में तैरती रहती है।
5. मकड़ी अपने जाल में खुद क्यों नहीं चिपकती?
मकड़ी अपने शिकार को फंसाने के लिए जाल बुनती है। छोटे-छोटे कीड़े इस जाल में आसानी से फंस जाते हैं। इन कीड़ों का जाल से निकलना काफी मुश्किल होता है। लेकिन आपने कभी गौर से देखा होगा तो पाया होगा कि मकड़ी खुद उस जाल में एक-जगह से दूसरे जगह आसानी से घूम लेती है। क्या आपको पता है कि ऐसा क्यों होता है?
मकड़ी का पूरा जाल चिपकने वाले नहीं होता है। वह इसका कुछ ही हिस्सा चिपचिपा बुनती है। वहीं, इसके अलावा वैसा हिस्सा जहां मकड़ी खुद आराम से रहती है, वह बिना चिपचिपे पदार्थ के बनाया जाता है।
इसलिए वह आसानी से इसमें घूम लेती है। वैसे अपने ही जाल में फंसने से बचने के लिए मकड़ी एक और तरकीब निकालती है। वह रोजाना अपने पैर काफी अच्छे से साफ करती है ताकि इन पर लगी धूल और दूसरे कण निकल जाएं।
कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि मकड़ी का पैर तैलीय होता है इसलिए वह जाल में नहीं फंसती और इसमें घूमती रहती है। लेकिन सच यह है कि मकड़ियों के पास ऑयल ग्लैंड्स (ग्रंथियां) नहीं होते हैं। वहीं कुछ वैज्ञानिक इसकी वजह मकड़ी की टांगों पर मौजूद बालों को मानते हैं जिन पर जाले की चिपचिपाहट का कोई असर नहीं होता है।
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6 to 10 Aisa Kyu Hota Hai Facts in Hindi | ऐसा क्यों होता है Facts
6. जुकाम हो जाने पर हमारी नाक से गंध का अनुभव होना बंद क्यों हो जाता है?
गंध को सूंघने का कार्य हमारी नाक द्वारा होता है जब हम किसी गंध को सूंघते हैं तो हमारी नाक की तंत्रिकाओं के माध्यम से गंध की सूचना हमारे मस्तिष्क को पहुचती हैं जिससे हमें गंध की जानकारी मिलती है
परन्तु जुकाम होने पर सन्देश पहुंचाने वाली तंत्रिकाओं के सिरे श्लेष्मा के कारण बंद हो जाते हैं जिससे गंध की जानकारी हमारे मस्तिष्क को नहीं पहुंच पाती हैं इसी कारण हमे जुकाम हो जाने पर हमारी नाक से गंध का अनुभव होना बंद हो जाता है।
7. छिपकलियां दीवारों पर चिपक कर कैसे चल लेती है?
छिपकली के पैर छोटे छोटे और शरीर बेलनाकार होता है इनके पैरो की बनावट कुछ ऐसी होती है कि जब छिपकली दीवार के ऊपर चलती है तो उनके पैरों और दीवार के बीच निर्वात अर्थात शून्य पैदा हो जाता है जिस कारण उनके पैर दीवार पर चिपक जाते हैं बाहरी हवा का दबाव भी उसे दीवार पर चलने में सहायक होता हैं
8. चींटी एक लाइन में कैसे चलती हैं?
चींटियों में कुछ ग्रंथियाँ होती हैं जिनसे फेरोमोंस नामक रसायन निकलते हैं। इन्हीं के ज़रिए वो एक दूसरे के संपर्क में रहती हैं। चींटियों के दो स्पर्श श्रंगिका या एंटीना होते हैं जिनसे वो सूंघने का काम करती हैं। रानी चींटी भोजन की तलाश में निकलती है तो फेरोमोंस छोड़ती जाती है।
दूसरी चीटियाँ अपने एंटीना से उसे सूंघती हुई रानी चींटी के पीछे-पीछे चली जाती हैं। जब रानी चींटी एक ख़ास फेरोमोन बनाना बंद कर देती है तो चीटियाँ, नई चींटी को रानी चुन लेती हैं। फेरोमोंस का प्रयोग और बहुत सी स्थितियों में होता है। जैसे अगर कोई चींटी कुचल जाए तो चेतावनी के फेरोमोन का रिसाव करती है जिससे बाक़ी चींटियाँ हमले के लिए तैयार हो जाती हैं। फेरोमोंस से यह भी पता चलता है कि कौन सी चींटी किस कार्यदल का हिस्सा है।
9. आसमान में बिजली क्यों चमकती है?
बादलों में नमी होती है। यह नमी बादलों में जल के बहुत बारीक कणों के रूप में होती है। हवा और जल कणों के बीच घर्षण होता है। घर्षण से बिजली पैदा होती है और जलकण आवेशित हो जाते हैं यानी चार्ज हो जाते हैं।
बादलों के कुछ समूह धनात्मक तो कुछ ऋणात्मक आवेशित होते हैं। धनात्मक और ऋणात्मक आवेशित बादल जब एक-दूसरे के समीप आते हैं तो टकराने से अति उच्च शक्ति की बिजली उत्पन्न होती है।
10. हमें किसी चीज के स्वाद का पता कैसे चलता है?
जीभ हमें स्वाद का ज्ञान कराती है। जीभ मुँह के भीतर स्थित है। यह पीछे की ओर चौड़ी और आगे की ओर पतली होती है। यह मांसपेशियों की बनी होती है। इसका रंग लाल होता है। इसकी ऊपरी सतह को देखने पर हमें कुछ दानेदार उभार दिखाई देते हैं, जिन्हें स्वाद कलिकाएं कहते हैं।
ये स्वाद कलिकाएं कोशिकाओं से बनी है। इनके ऊपरी सिरे से बाल के समान तंतु निकले होते हैं। ये स्वाद कलिकाएं चार प्रकार की होती है, जिनके द्वारा हमें चार प्रकार की मुख्य स्वादों का पता चलता है। मीठा, कड़वा, खट्टा और नमकीन।
जीभ का आगे का भाग मीठे और नमकीन स्वाद का अनुभव कराता है। पीछे का भाग कड़वे स्वाद का और किनारे का भाग खट्टे स्वाद का अनुभव कराता है। जीभ का मध्य भाग किसी भी प्रकार के स्वाद का अनुभव नहीं कराता, क्योंकि इस स्थान पर स्वाद कलिकाएं प्रायः नहीं होती है।
स्वाद का पता लगाने के लिए भोजन का कुछ अंश लार में घुल जाता है और स्वाद-कलिकाओं को सक्रिय कर देता है। खाद्य पदार्थों द्वारा भी एक रासायनिक क्रिया होती है, जिससे तंत्रिका आवेग पैदा हो जाते हैं। ये आवेग मस्तिष्क के स्वाद केंद्र तक पहुँचते हैं और स्वाद का अनुभव देने लगते हैं। इन्हीं आवेगों को पहचान कर हमारा मस्तिष्क हमें स्वाद का ज्ञान कराता है।
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11 to 15 Aisa Kyu Hota Hai Facts in Hindi | ऐसा क्यों होता है Facts
11. उल्लू अंधेरे में कैसे देख लेता है?
उल्लू रात्रि में मानव से कई गुना अधिक देख सकता है क्योंकि उसकी आँखों में प्रतिबिम्ब वाली विशेष कोशिकाएं होती हैं जो रोशनी को अपने भीतर सोख लेती हैं। यह एक ऐसा विचित्र पक्षी है, जिसे दिन की अपेक्षा रात में अधिक स्पष्ट दिखाई देता है।
उसे दिखाई तो दिन में भी देता है, लेकिन उतना स्पष्ट नहीं देता जितना कि रात में और जिन पक्षियों को रात में अधिक दिखाई देता है, उन्हें रात का पक्षी कहते हैं।
12. आग पानी से क्यों बुझ जाती है?
दहनशील पदार्थ पर्याप्त ऑक्सीजन की उपस्थिति में जब पर्याप्त ऊष्मा, जो श्रृंखलाबद्ध प्रतिक्रिया को सुचारू रूप से चलाने में सक्षम हो, संपर्क में आता है, तो आग पैदा होती है। इनमें से किसी एक की अनुपस्थिति से आग पैदा नहीं हो सकती है। अगर आग एक बार जल जाती है यानी श्रृंखलाबद्ध प्रतिक्रिया शुरू हो जाती है तो जब तक ऑक्सीजन और दहनशील पदार्थ की उपस्थिति रहती है तब तक वह जलती और फैलती रहती है।
आग को ऑक्सीजन और ईंधन में से किसी एक को अलग कर बुझाया जा सकता है। आग पर पानी की पर्याप्त बौछार पड़ती है तो ईंधन को ऑक्सीजन की उपस्थिति में बाधा पड़ती है और आग बुझ जाती है। आग पर कार्बन-डाइऑक्साइड के प्रयोग से भी आग बुझाई जा सकती है। जंगल की आग बुझाने के लिए मुख्य ज्वाला से दूर छोटी छोटी ज्वाला पैदा कर ईंधन की आपूर्ति बंद की जाती है।
13. बरसात कैसे होती है?
आर्द्र मानसून हवाएं जब पर्वत से टकराती है तो ऊपर उठ जाती हैं, परिणामस्वरूप पर्याप्त बारिश होती है। हम जानते हैं कि ज्यों-ज्यों ऊंचाई बढ़ती है तापमान कम होने लगता है। 165 मीटर ऊपर जाने पर एक डिग्री सेंटीग्रेड तापमान कम हो जाता है। हवाएं जब ऊपर उठती हैं तो इसमें मौजूद वाष्पकण ठंडे होकर पानी की बूंदों में बदल जाते है।
जब पानी की बूंद भारी होने लगती है तो यह धरती पर गिरती है। इसे हम बारिश कहते हैं। चूंकि मानसूनी हवा में वाष्पकण भरपूर मात्रा में होते हैं इसलिए बारिश भी जमकर होती है।
14. सूर्य प्रातः और शाम के समय लाल रंग का क्यों दिखाई देता है?
धरती के चारों ओर वायुमंडल यानी हवा है। इसमें कई तरह की गैसों के मॉलिक्यूल और पानी की बूँदें या भाप है। गैसों में सबसे ज्यादा करीब 78 फीसद नाइट्रोजन है और करीब 21 फीसद ऑक्सीजन। इसके अलावा आर्गन गैस और पानी है। इसमें धूल, राख और समुद्री पानी से उठा नमक वगैरह है।
हमें अपने आसमान का रंग इन्हीं चीजों की वजह से आसमानी लगता है। दरअसल हम जिसे रंग कहते हैं वह रोशनी है। रोशनी वेव्स या तरंगों में चलती है। हवा में मौजूद चीजें इन वेव्स को रोकती हैं।
जो लम्बी वेव्स हैं उनमें रुकावट कम आती है। वे धूल के कणों से बड़ी होती हैं। यानी रोशनी की लाल, पीली और नारंगी तरंगें नजर नहीं आती। पर छोटी तरंगों को गैस या धूल के कण रोकते हैं। और यह रोशनी टकराकर चारों ओर फैलती है। रोशनी के वर्णक्रम या स्पेक्ट्रम में नीला रंग छोटी तरंगों में चलता है। यही नीला रंग जब फैलता है तो वह आसमान का रंग लगता है। दिन में सूरज ऊपर होता है। वायुमंडल का निचला हिस्सा ज्यादा सघन है। आप दूर क्षितिज में देखें तो वह पीलापन लिए होता है। कई बार लाल भी होता है।
सुबह और शाम के समय सूर्य नीचे यानी क्षितिज में होता है तब रोशनी अपेक्षाकृत वातावरण की निचली सतह से होकर हम तक पहुँचती है। माध्यम ज्यादा सघन होने के कारण वर्णक्रम की लाल तरंगें भी बिखरती हैं। इसलिए आसमान अरुणिमा लिए नजर आता है। कई बार आँधी आने पर आसमान पीला भी होता है।
आसमान का रंग तो काला होता है। रात में जब सूरज की रोशनी नहीं होती वह हमें काला नजर आता है। हमें अपना सूरज भी पीले रंग का लगता है। जब आप स्पेस में जाएं जहां हवा नहीं है वहाँ आसमान काला और सफेद सूरज नजर आता है।
15. भूकंप क्यों आते हैं?
हमारी पृथ्वी के अंदर 7 तरह की प्लेट्स हैं जो लगातार घूम रही होती हैं। ऐसे में जब कभी ये प्लेट्स ज्यादा टकरा जाती हैं, उसे जोन फॉल्ट लाइन कहा जात है। यही नहीं ज्यादा दबाव बनने पर प्लेट्स टूटने लगती हैं और नीचे की एनर्जी बाहर आने का रास्ता खोजती है।
पृथ्वी के नीचे इस उथल पुथल का नतीजा ही भूकंप के रूप में नज़र आता है।
16 to 20 Aisa Kyu Hota Hai Facts in Hindi | 25 Amazing Facts In Hindi
16. आदमी और जानवर में से पहले कौन आया?
जीवन का विकास क्रमिक रूप से हुआ है। सबसे पहले एक कोशीय जीव जैसे अमीबा, जीवाणु बने, इसके पश्चात बहु कोशीय जीव बने। जीवन का विकास पहले पानी में अर्थात समुद्र में हुआ उसके पश्चात जमीन पर।
मनुष्य का विकास तो जीवन की उत्पत्ति के लाखों करोड़ों वर्ष बाद मे हुआ है। हम कह सकते है कि जानवर मनुष्यों से करोडो वर्ष पहले आये है।
17. कैसे बनती है दियासलाई?
दियासलाई मोम लगे कागज या दफ्ती से बनाई जाती है। इनके एक सिरे पर कुछ जलने वाले पदार्थों का मिश्रण लगा होता है। दियासलाई का निर्माण जॉन वॉल्कर ने 1827 में किया था। इसे लकड़ी के टुकड़े पर गोंद, स्टार्च, एंटीमनी सल्फाइड, पोटैशियम क्लोरेट लगाकर बनाया गया था। पर यह सुरक्षित नहीं थी।
सुरक्षित दियासलाई 1844 में स्वीडन के ईपोश्च द्वारा बनाई गई थी। आज दियासलाई मुख्य रूप से दो तरह की होती है। पहले तरह की माचिस को घर्षण माचिस कहते हैं। इसे किसी खुरदरी सतह पर रगड़कर आग पैदा की जा सकती है।
सबसे पहले लकड़ी की तीली के एक-चौथाई भाग को पिघले हुए मोम या गंधक में डुबोया जाता है। फिर उस पर फास्फोरस ट्राई सल्फाइड का मिश्रण लगाया जाता है। उसके ऊपर एंटीमनी ट्राई सल्फाइड और पोटेशियम क्लोरेट का मिश्रण लगाया जाता है।
घर्षण हो, इसके लिए इस मिश्रण में कांच का चूरा या बालू मिला दिया जाता है। जब तक सफेद हिस्सा नहीं रगड़ा जाए या आग न पकड़े, तब नीला हिस्सा नहीं जलता। इसी पदार्थ द्वारा तीली के दूसरे हिस्सों में भी आग पहुंचती है।
इस प्रक्रिया द्वारा बनाई गईं तीलियां बहुत जल्दी आग पकड़ती हैं। सुरक्षित दियासलाई दूसरी किस्म की दियासलाई है।
यह दियासलाई की डिब्बी पर लगे रसायन की रगड़ खाकर ही जलती है। सुरक्षित दियासलाई का निर्माण ऊपर दी गई प्रक्रिया के अनुसार ही होता है।
बस इसमें फास्फोरस ट्राई सल्फाइड का प्रयोग नहीं किया जाता है। उसकी जगह पर इसमें लगे लाल फास्फोरस लगाया जाता है। इसमें खासियत यह होती है कि बिना रगड़े दियासलाई में आग पैदा नहीं होती। हमारे घरों में इन्हीं दियासलाइयों का उपयोग होता है।
18. आलू फल है की सब्जी?
आलू सभी को भाता हैं। हर तरह के खाने में पाया जाता हैं। लेकिन ये और हरी भरी सब्जियों सा नहीं लगता। मन में ये सवाल उठता है की आलू सब्जी है या फल। इसका फैसला करने से पहले चलिए समझते हैं कि फल और सब्जी में क्या भिन्नता हैं – वनस्पति विज्ञान (बॉटनी) के अनुसार फल बीज धारक संरचना है जो किसी पुष्पधारी पौधे के बीजाशय से निकलता हैं।
पौधे के सभी और हिस्से सब्जी होते हैं। आलू एक पौधे का जड़ हैं, और वो बीज नहीं धारण करता इसलिए वो निश्चित रूप से सब्जी ही हैं। बोनस जिज्ञासा – बैगन सब्जी है या फल? सब्जियों का राजा बैंगन बीज धारण करता हैं और इस प्रकार वो सब्जी नहीं फल हैं।
साथ ही साथ हमारी कई सारी तथाकथित सब्जियां जैसे भिन्डी, टमाटर, कद्दू, लौकी, तुरई, शिमला मिर्च, हरी मिर्च ये सब फल हैं सब्जियां नहीं। गोभी, साग, धनिया, गाज़र, मुली आदि गर्व के साथ अपने को सब्जियां बुला सकती हैं।
19. बिजली का आविष्कार कैसे हुआ?
बिजली (Electric) शव्द की उत्पति ग्रीक भाषा के ‘ इलेक्ट्रान ’ शव्द से हुई है l ईसा से 600 वर्ष पूर्व ग्रीक के लोगों को पता था कि अम्बर (Amber) को कपड़े से रगड़ने पर उसमें कोई ऐसी शक्ति पैदा हो जाती है, जिसके कारण वह कागज के छोटे-छोटे टुकड़ों को आकर्षित करने लगता है l
वास्तव में बिजली का आविष्कार सन् 1800 में अलेस्सांद्रो वोल्टा (Alessandro Volta) ने किया l वही सबसे पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने पहली विधुत सेल बनाई, जिससे विद्युत धारा प्राप्त की जा सकती थी l
विधुत सेल के आविष्कार के कुछ ही दिनों में लोगों को यह पता लग गया कि बिधुत धारा से ऊष्मा, प्रकाश, रासायनिक कियाएं और चुम्बकीय प्रभाव पैदा किए जा सकते हैं l वोल्टा विधुत सेल में हल्के गंधक के अम्ल में एक जस्ते और तांबे की छड़ डुबोई जाती थी l
इन छोड़ों पर लगे तारों को जोड़ने पर बिजली पैदा होती थी l इस सेल में बाद में बहुत से सुधार हुए और अनेकों प्रकार के बिधुत सेलों का निर्माण हुआ l विधुत पैदा करने की दिशा में सबसे क्रन्तिकारी कार्य 1831 में माइकल फैराडे (Michal Faraday) ने किया l
उन्होंने सबसे पहले सारे संसार को यह दिखाया कि यदि तांबे के तार से बनी कुंडली (Coil) में एक चुम्बक को आगे-पीछे किया जाए, तो बिजली पैदा हो जाती है l
फैराडे के इसी सिद्धांत को प्रयोग में लाकर विद्युत पैदा करने वाले जेनरेटरों (Generators) का विकास हुआ l सबसे पहला सफल विद्युत डायनेमो (Dynamo) या जनरेटर जर्मनी में सन 1867 में बनाया गया l
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उसके बाद विधुत मोटरों और ट्रांस्फोर्मेरों (Transformers) का विकास हुआ l 19 वीं शताब्दी के अंत तक दुनिया के कुछ हिस्सों में बिजली का उत्पादन होने लगा था l 1858 में अमेरिका में गिरते हुए पानी की मदद से टरबाइन (Turbine) चलाकर विद्युत पैदा की गई l
20. बिजली कैसे बनती है?
बिजली बनाने के पीछे जो नियम है वह है चुम्बक के चलने पर बिजली का पैदा होना। विज्ञान का यह सिद्धांत है की जब एक चुम्बक को तार से लपेट दिया जाये और चुम्बक घूमने लगे तो तार में बिजली बहने लगती है या फिर एक तार को किसी छड़ पर लपेट दिया जाए और इसे किसी चुम्बक के बीच में रख कर घुमाया जाए तो इन तारों में बिजली बहने लगेगी।
1431 में माइकल फेरेडे नाम के ब्रिटिश वैज्ञानिक ने यह सिद्धांत खोजा था। उन्होंने ने पाया की एक तांबे के तार को किसी चुम्बक के पास घुमाएं तो उस तार में बिजली बहने लगती है। यानी अगर एक चुम्बक और एक तार (जो बिजली चालक हैं) के बीच अगर गति है तब तार में बिजली पैदा होती है। तार को आप एक बल्ब से जोड़ दें तब यह बल्ब जलने लगेगा।
यह आप अपने घर में भी आसानी से कर सकते हैं। घूमते हुए तार की यांत्रिक ऊर्जा, विद्युत ऊर्जा में बदल जाती है। इसी नियम को आधार मानकर चलते हैं सारे बिजली घर।
अब हमें यह पता चल गया की बिजली पैदा कैसे हो सकती है। तो हम क्रम से सोचें कि कैसे हम एक बिजली घर बना सकते हैं और हमें किन चीज़ों की ज़रूरत पड़ेगी। ऊपर वाले नियम को लागू करने के लिए हमें चाहिए बहुत बड़े चुम्बक, तार जिनमें बिजली का प्रवाह हो सकता है, एक बहुत बड़ी छड़ जिस पर यह तार बंधा हो, और इस को छड़ को चलाने के लिए कोई मशीन।
घर में आपने किसी बर्तन को कभी ढक कर पानी उबाला है। अगर किया है तो देखा होगा की पानी उबलने पर ढक्कन या तो गिर जाता है या उछलने लगता है। इसके मतलब भाप में ऊर्जा है जो हम किसी मशीन को चलाने में इस्तेमाल कर सकते हैं।
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21 to 25 Aisa Kyu Hota Hai Facts in Hindi | 25 Amazing Facts In Hindi
21. व्हेल को मछली क्यों नहीं माना जाता?
व्हेल एक समुद्री जीव है, जो पानी में रहता है। इसका आकार मछली जैसा होता है, लेकिन वास्तविकता में यह मछली की श्रेणी में नहीं आते। यह एक स्तनधारी प्राणी है।
इस का विकास विशाल्काए जंतु डायनासोर से माना जाता है, जो आज से करोड़ों साल पहले धरती पर विचरण किया करते थे। नीली व्हेल या सल्फर बॉटम व्हेल सबसे विशाल्काए जीव है। व्हेल हमारी तरह सांस लेता है और इसके गलफड़े नहीं होते हैं।
इसके सिर्र के अगले भाग में नथुने होते हैं और पानी के अन्दर यह नथुने बंद हो जाते हैं। यह सांस लेने के लिए हर 5-10 मिनट बिना सांस लिए रह सकता है। मादा व्हेल बच्चे पैदा करती है और उन्हें दूध पिलाती है। व्हेल गर्म रक्त वाला प्राणी है। इसके शरीर के अंग स्तनधारियों से मिलते हैं।
कुछ व्हेल दांत वाले भी होते हैं और कुछ के मुंह में दांतों के स्थान पर प्लेट के आकार की हड्डियां होती हैं। इन्हीं सब गुणों के आधार पर व्हेल को मछली न मान कर स्तनधारी प्राणी मन जाता है।
22. कुछ व्यक्ति बोने क्यों रह जाते हैं?
कई बार हमारे आस-पास कुछ लोगों का कद बहुत छोटा होता है, वे सभी से अलग दिखाई देते हैं। दरअसल मनुष्य के शरीर की लम्बाई कई बातों पर निर्भर करती है।
सामान्य रूप से मनुष्य की लम्बाई वंशानुगत होती है। जिस व्यक्ति के माता पिता नाटे होते हैं उनके बच्चों का कद भी अधिक नहीं बढ़ता।
इसके अतिरिक्त नाटे होने का एक और कारण pituitary glands से harmons के secretion की कमी भी होती है। कुछ लोग बच्चपन में बहुत जल्दी बढते हैं लेकिन आगे चलकर harmons के कम secretion से उनका कद बढ़ना रुक जाता है।
23. बैठना आरामदायक क्यों होता है?
आपने अक्सर महसूस किया होगा कि खड़े रहने के बजाय बैठना आसान होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि गुरुत्वाकर्षण के कारण हमारे शरीर अपर नीचे का दबाव पड़ रहा होता है
तब यह दबाव पैरों से होता हुआ हमारी एड़ी और पंजों पर पड़ता है। एक ही स्थान पर पूरे शरीर का भार पड़ने के कारण हमें पैरों में दर्द और थकान का आभास होने लगता है।
बैठने पर यह दबाव और भार बंट जाता है जिससे शरीर के किसी हिस्से पर दबाव नहीं पड़ता और पेशियों को भी कम काम करना पड़ता है। यही कारण है कि लम्बे समय तक खड़े रहने की अपेक्षा किसी स्थान पर बैठना अधिक आरामदायक होता है।
24. रात में जुगनू क्यों चमकता है?
रात अंधेरी हो तो जुगनू का बारी-बारी से चमकना और बंद होना रोमांचक और मनोहारी होता है। जुगनू लगातार नहीं चमकते, बल्कि एक निश्चित अंतराल में ही चमकते और बंद होते हैं।
वैज्ञानिक रॉबर्ट बॉयल ने सन 1667 में सबसे पहले कीटों से पैदा होने वाली रोशनी की खोज की। जुगनुओं की कुछ प्रजातियों में काफी रोशनी पैदा करती हैं। ऐसी किस्में दक्षिण अमेरिका और वेस्टइंडीज में पायी जाती हैं।
गौरतलब है कि रोशनी पैदा करने वाले कीटों की करीब एक हजार प्रजातियां खोजी जा चुकी हैं जिनमें कुछ बैक्टीरिया, कुछ मछलियां-कुछ किस्म के शैवाल, घोंघे और केकड़ों में भी रोशनी पैदा करने का गुण होता है, लेकिन इनमें जुगनू सबसे ज्यादा लोकप्रिय है। जुगनू रात्रिचर होते हैं।
हमारे यहां पर पाया जाने वाला जुगनू कोई आधे इंच का होता है। वह पतला और चपटा-सा स्लेटी भूरे रंग का होता है। नर जुगनू में ही पंख होते हैं मादा पंख न होने के कारण उड़ने में असमर्थ होती है। वह उड़ते हुए साथी को रोशनी के चमकने और बुझने की लय की मदद से पहचानती है।
मादा चमकती तो है लेकिन किसी स्थान पर बैठी होती है। जुगनू की आंखें बड़ी स्पर्शक लंबे और टांगे छोटी होती हैं। जुगनू जमीन के अंदर या पेड़ की छाल में अंडे देते हैं। इनका मुख्य भोजन छोटे कीट और वनस्पति हैं।
जुगनू के शरीर में नीचे की ओर पेट में चमड़ी के ठीक नीचे कुछ हिस्सों में रोशनी पैदा करने वाले अंग होते हैं। इन अंगों में कुछ रसायन होता है। यह रसायन ऑक्सीजन के संपर्क में आकर रोशनी पैदा करता है। रोशनी तभी पैदा होगी जब इन दोनों पदार्थों और ऑक्सीजन का संपर्क हो। लेकिन, एक ओर रसायन होता है जो इस रोशनी पैदा करने की क्रिया को उकसाता है।
25. सोते समय हमे खर्राटे क्यों आते हैं?
जब सोते हुए व्यक्ति के नाक से अपेक्षाकृत तेज आवाज निकलती है तो इसे खर्राटे लेना (snoring) कहते हैं। इसे “ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया” कहा जाता है; अर्थात नींद में आपकी साँस में अवरोध उत्पन्न होता है। इसके कारणों में नाक से लेकर श्वास नली तक कोई भी कारण हो सकता है।
छोटी गर्दन, मोटापा इसके अन्य कारणों में सम्मिलित है। कुछ लोगों की तो श्वास नींद में पूरी तरह से अवरुद्ध हो जाती है।
यह एक गंभीर अवस्था है और लंबे समय में यह आपके हृदय और मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव डालती है। इस अवस्था में नींद पूरी नहीं होती और व्यक्ति को दिन में भी थकान लगती रहती है |
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